शुक्रवार, मई 29, 2009

बदन के आस-पास

लबों पे रेत हाथों में गुलाब

और कानों में किसी नदी की काँपती सदा

ये सारी अजनबी फ़िज़ा

मेरे बदन के आस-पास आज कौन है।

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