अब्र-ए-बहार ने
फूल का चेहरा
अपने बनफ़्शी हाथ में लेकर
ऐसे चूमा
फूल के सारे दुख
ख़ुश्बू बन कर बह निकले हैं
शुक्रवार, मई 29, 2009
प्यार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अब्र-ए-बहार ने
फूल का चेहरा
अपने बनफ़्शी हाथ में लेकर
ऐसे चूमा
फूल के सारे दुख
ख़ुश्बू बन कर बह निकले हैं
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें