हम कब शरीक होते हैं दुनिया की ज़ंग में
वह अपने रंग में हैं, हम अपनी तरंग में
मफ़्तूह हो के भूल गए शेख़ अपनी बह्स
मन्तिक़ शहीद हो गई मैदाने ज़ंग में
शनिवार, मार्च 13, 2010
हम कब शरीक होते हैं
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हम कब शरीक होते हैं दुनिया की ज़ंग में
वह अपने रंग में हैं, हम अपनी तरंग में
मफ़्तूह हो के भूल गए शेख़ अपनी बह्स
मन्तिक़ शहीद हो गई मैदाने ज़ंग में
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