मीठी—मीठी आग से परिचित हुए
हम दहन की राग से परिचित हुए
तन से कुछ ज्यादा ही भीगा मन का छोर
तन से मन तक फाग से परिचित हुए
उम्र भर, यायावरी के बाद भी
कितने कम भू—भाग से परिचित हुए
लोग डँस लेते हैं अवसर देखकर
जो स्वयं के नाग से परिचित हए !
भोर होते ही किया चिड़ियों ने शोर
दिन की भागम—भाग से परिचित हुए
हमने गाँधी की तरह पढ़ा जीवन—चरित्र
इस तरह भी त्याग से परिचित हुए
घर के अंदर बैठकर वन में रहे
मानसिक बैराग से परिचित हुए
गुरुवार, फ़रवरी 18, 2010
मीठी—मीठी आग से परिचित हुए
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें