कुछ इरादे सफल न हो पाए
झोंपड़ी से महल न हो पाए
पाप के पंक में धँसे ऐसे—
चाहकर भी कमल न हो पाए
ऐसे— ऐसे कठिन सवाल मिले
हल किए किन्तु हल न हो पाए
बंद मुठ्ठी में कैद है जुगनू
कैद मुठ्ठी मे पल न हो पाए
मुस्कुराने में फँस गए इतने—
फूल के बाद फल न हो पाए
हमको पत्थर बना के छोड़ दिया
और पत्थर, तरल न हो पाए
जितने चाहे थे अपने जीवन में
उतने रद्दो—बदल न हो पाए
गुरुवार, फ़रवरी 18, 2010
कुछ इरादे सफल न हो पाए
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