डबडबाए नयन का पता चल गया
बदलियों से गगन का पता चल गया
लाख कोई छिपाने की कोशिश करे
हाव—भावों से मन का पता चल गया
एक मीठी नदी ज्यों ही खारी हुई
उसको अपने ‘चयन’ का पता चल गया
अवसरों के निकष से गुज़रते हुए
खुद—ब—खुद मन—वचन का पता चल गया
वो ही रस्सी पे दौड़ेगा नट की तरह
जिसको निज संतुलन का पता चल गया
उम्र के मोड़ पर साठ के बाद में
सबको अपनी थकन का पता चल गया
अपने शे’रों से दुनिया बदलते हुए
शायरी के मिशन का पता चल गया !
गुरुवार, फ़रवरी 18, 2010
डबडबाए नयन का पता चल गया
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें