गुरुवार, फ़रवरी 18, 2010

अथक प्रयास के उजले विचार से निकली

अथक प्रयास के उजले विचार से निकली

हमारी जीत, निरंतर जुझार से निकली


हरेक युद्ध किसी संधि पर समाप्त हुआ

अमन की राह हमेशा प्यार से निकली


जो मन का मैल है, उसको तो व्यक्त होना है

हमारी कुण्ठा हजारों प्रकार से निकली


ये अर्थ—शास्त्र भी कहता है, अपनी भाषा में—

नकद की राह हमेशा उधार से निकली


नजर में आने की उद्दंड युक्ति अपनाकर ,

वो चलते—चलते अचानक कतार से निकली


हमारी चादरें छोटी, शरीर लंबे है

हमारे खर्च की सीमा पगार से निकली


ये सोच कर ही तुम्हें रात से गुजरना है

सुहानी भोर सदा अंधकार से निकली

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