आबे ज़मज़म से कहा मैंने मिला गंगा से क्यों
क्यों तेरी तीनत[1] में इतनी नातवानी[2] आ गई?
वह लगा कहने कि हज़रत! आप देखें तो ज़रा
बन्द था शीशी में, अब मुझमें रवानी आ गई
शब्दार्थ:
↑ नीयत
↑ अक्षमता
शनिवार, मार्च 13, 2010
आबे ज़मज़म से कहा मैंने
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