चिकने चेहरे इतने भी सरल नहीं होते।
ये वो मसले हैं जो आसानी से हल नहीं होते।
कुछ ही पलों की चमक और खुशबू इनकी,
ये फूल किसी का कभी संबल नहीं होते।
भूखों में बाँट दीजिए जो बचा रखा है,
जीवन के हिस्से में कभी कल नहीं होते।
शायर वो क्या, क्या उनकी शायरी,
जो ख़ुद झूमती हुई ग़ज़ल नहीं होते।
कोख़ माँ की किसी को न जब तलक मिले,
बीज कैसे भी हों, फ़सल नहीं होते।
विवशताओं ने पागल कर दिया होगा,
ख़्याल बचपने से कभी चँबल नहीं होते।
जम गई होगी वक्त की धूल वरना,
आईने की प्रकृति में छल नहीं होते।
शनिवार, मई 16, 2009
चिकने चेहरे इतने भी सरल नहीं होते
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