हमारी बेबसी देखो उन्हें हमदर्द कहते हैं,
जो उर्दू बोलने वालों को दहशतगर्द कहते हैं
मदीने तक में हमने मुल्क की ख़ातिर दुआ मांगी
किसी से पूछ ले इसको वतन का दर्द कहते हैं
किसी भी रंग को पहचानना मुश्किल नहीं होता
मेरे बच्चों की सूरत देख इसको ज़र्द कहते हैं
अगर दंगाइयों पर तेरा कोई बस नहीं चलता
तो फिर सुन ले हुकूमत हम तुझे नामर्द कहते हैं
वो अपने आपको सच बोलने से किस तरह रोकें
वज़ारत को जो अपनी जूतियों की गर्द कहते हैं
शनिवार, मई 16, 2009
हमारी बेबसी देखो उन्हें हमदर्द कहते हैं
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें