किसी भी चेहरे को देखो गुलाल होता है
तुम्हारे शहर में पत्थर भी लाल होता है
कभी कभी तो मेरे घर में कुछ नहीं होता
मगर जो होता है रिज्के हलाल होता है
किसी हवेली के ऊपर से मत गुजर चिडिया
यहां छतें नही होती हैं जाल होता है
मैं शोहरतों की बलंदी पे जा नहीं सकता
जहां उरूज पे पहुंचो जबाल होता है
मैं अपने आपको सैय्यद तो लिख नहीं सकता
अजान देने से कोई बिलाल होता है!
शनिवार, मई 16, 2009
किसी भी चेहरे को देखो गुलाल होता है
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