सच ढूँढ़ता रहा शहादत देखिये।
झूठ की हो भी गई ज़मानत देखिये।
अब मौत के आसार हैं ज़्यादा क्योंकि
कड़ी कर दी गई है हिफ़ाज़त देखिए।
भ्रष्टाचार का जंगल तैयार क्यों न हो,
वृक्षारोपण कर रही है सिसायत देखिये।
घरों को बौना रखने के आदेश जो दे गये है,
आसमान चूमती उनकी आप ईमारत देखिये।
विज्ञापनों के खूंटे में टंगा अखबार,
क्या लिखेगा सच की इबारत देखिये।
शनिवार, मई 16, 2009
सच ढूंढ्ता रहा शहादत देखिये
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