गुरुवार, मार्च 11, 2010

हर ओर अन्धेरा है

हर ओर अन्धेरा है, अंजाम तबाही है
ये आग तो लगनी थी, जिसने भी लगाई है

अब हम भी अन्धेरे में उस आग को ढुंढेगे
जो आग चराग़ों ने पलकों पे उठाई है

वो यार हैं मुद्दत से कल राज़ खुलेगा ये
रहज़न का मुकादमा है, रहबर की गवाही है

हँसने के लिए पहले रोने का सबक सीखो
ये बात हमें कल ही अश्क़ो ने बताई है

उस शोख हसीना के पैकल में अदब देखा
चेहरा है गज़ल उसका, मुस्कान रुबाई है

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