अब ज़ुबाँ मत खोल तेरी बानगी ले जाएगा
एक लम्हा फिर से तेरी हर खुशी ले जाएगा
वक़्त के इस हादसे को रोक ले वरना यही
हसरतों का आसमाँ, दिल की हँसी ले जाएगा
तू अन्धेरे को अगर बेजान ही कहता रहा
देख लेना एक दिन ये रोशनी ले जाएगा
जिस पे तुझ को है भरोसा हो न हो यूँ एक दिन
जेब में रख के वो तेरी हर कमी ले जाएगा
हो नहीं पाएगा मुमकिन लौटना ख़ुद में कभी
इक यहीं अहसास मेरी ज़िन्दगी ले जाएगा
गुरुवार, मार्च 11, 2010
अब ज़ुबाँ मत खोल
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें