आज तो बाज़ार में इस बात के चर्चे बड़े हैं
कीमतें आकाश पर हैं, हम ज़मीं पर ही पड़े हैं
आप कैसे पढ़ सकेंगे उनके चेहरे की ज़बीं
जब ज़बीं पर पोस्टर ही पोस्टर चिपके पड़े हैं
एक ही शहतीर पर बीमार मज़िल है खड़ी
और सब खम्बे तो बस तीमारदारी में खड़े हैं
जिस जगह पर था हमें अपनी हिफाज़त का यक़ी
उस जगह पर आज लाखों डर अचानक आ खड़े हैं
इस कदर पाबन्दियों में मत अकेले जाइए
हमसे कुछ मत पूछिए क़ानून के पहरे कड़े हैं
गुरुवार, मार्च 11, 2010
हमसे कुछ मत पूछिए
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