मंगलवार, मार्च 09, 2010

नए मिज़ाज के माली ने तल्ख़ियाँ रख दीं

नए मिज़ाज के माली ने तल्ख़ियाँ रख दीं
गुलों के सामने पत्थर की तितलियाँ रख दीं

तुम्हारी मसलेहत का शुक्रिया अदा साहब!
कि तुमने प्यार के रिश्तों में गिनतियाँ रख दीं

वो शख़्स हँसता रहा जितनी देर मुझसे मिला
बस एक अश्क ने सारी कहानियाँ रख दीं

हमें बुलन्दियों के ख़्वाब देने वालों ने-
हमारे सामने पानी की सीढ़ियाँ रख दीं

सहानुभूतियों का जश्न यूँ मनाया गया
यतीमख़ाने में लोगों ने टाफ़ियाँ रख दीं.

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