समय के साथ अब लड़ना-लड़ाना छॊड़ दिया
कि मैंने आग को पानी बनाना छोड़ दिया
न वो संदूक, न छतरी ,न जेब वाली घड़ी
मेरी हयात ने सब कुछ पुराना छोड़ दिया
न जाने कौन-सी जल्दी थी उन परिन्दों को
ज़मीं पे फैला हुआ आबो-दाना छोड़ दिया
बस और कुछ न किया मैं ने एक उम्र के बाद
पिता की जेब से पैसे चुराना छोड़ दिया
हवाएँ पूछती फिरती हैं नन्हे बच्चों से
ये क्या हुआ कि पतंगें उड़ाना छोड़ दिया
किसी ने आँसुओं की सल्तनत मुझे दे दी
किसी के वास्ते मैंने ज़माना छोड़ दिया
बहुत घमंड था अपनी बुलन्दियों का उसे
कि आसमान का हमने घरानाछोड़ दिया
अगर बड़े हों मसाइल तो रंजिशें अच्छी
ज़रा-सी बात पे मिलना-मिलाना छोड़ दिया.
मंगलवार, मार्च 09, 2010
समय के साथ अब लड़ना-लड़ाना छॊड़ दिया
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें