बड़ा कठिन है सफ़र साथ चल सको तो चलो
तुम अपने आपको थोड़ा बदल सको तो चलो
शजर कहीं भी नहीं रास्ते हैं वीराने-
कड़ी है धूप मेरी तरह जल सको तो चलो
जो इश्तेहार बदलते हैं उनसे क्या उम्मीद
कि मेर सथ तुम मंज़र बदल सको तो चलो
पुरानी बन्दिशें रस्ता तुम्हारा रोकेंगी-
कि उनको तोड़ के घर से निकल सको तो चलो
उँचाइयों से फिसल कर बचा नहीं कोई-
मदद करो न करो, ख़ुद सँभल सको तो चलो.
मंगलवार, मार्च 09, 2010
बड़ा कठिन है सफ़र साथ चल सको तो चलो
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