आग जैसे ज्वलंत प्रश्नों में
देश उलझा अनंत प्रश्नों में
सुर्ख टेसू सवाल करते हैं
घिर गया है वसंत प्रश्नों में
अपने-अपने महत्व को लेकर
कैसे उलझे हैं संत प्रश्नों में
उत्तरों को भी चोट आई है
हो गई है भिड़ंत प्रश्नों में
हम तो छोटे सवाल हैं, साहब!
हैं यहाँ भी महंत प्रश्नों में
शनिवार, फ़रवरी 20, 2010
आग जैसे ज्वलंत प्रश्नों में
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें