अम्ल होते रहे क्षार होते रहे
प्रतिक्रियाऒं को तैयार होते रहे
किसको फ़ुरसत है, अमराइयों में मिले
बन्द कमरों में अभिसार होते रहे
वक्त की झील में स्व्वार्थ की नाव पर
उनके सिद्धान्त भी पार होते रहे
हमने तलवार फिर भी उठाई नहीं
शुत्रु के वार पर वार होते होते रहे
वे चमत्कार को देख ही न सके
जिनके सम्मुख चमत्कार होते रहे
शनिवार, फ़रवरी 20, 2010
अम्ल होते रहे क्षार होते रहे
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