शनिवार, फ़रवरी 20, 2010

नहीं अब शेष स्पर्धा उड़ानों में

नहीं अब शेष स्पर्धा उड़ानों में
पतंगें उड़ रही हैं वायुयानों में

बयानों पर अधिक विश्वास मत करना
बहुत कम तथ्य होता है बयानों में

भला अब कौन अस्मत को बचाएगा
दरोगा कर रहे हैं रेप थानों में

जो हीरे हार में जड़कर चमकते हैं
कभी देखा भी है उनको खदानों में?

पलायन गाँव से भी करगए तो क्या
शहर के गुण नहीं आए किसानों में

इसे तुम लोग कैसे कैद कर लोगे
ये खुश्बू है उड़ेगी आसमानों में

हुआ था वृक्ष पहले या कि पहले बीज
बहस अब तक छिड़ी है बुद्धिमानों में

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