जो बेहद मुश्किल लगता था उसको भी आसान किया
हमने सपनों को सच कर लेने का अनुसंधान किया
इस कलियुग के दानवीर कर्णों की गाथा मत पूछो
जितना भी काला धन था वो मुक्त -हस्त से दान किया
आँखों में आँसू का झरना,अधरों पर मुस्कानें हैं
औरय्त ने इस द्वन्द्व-युद्ध में ख़ुद को लहु-लुहान किया
हमको चलना है लेकिन यह राजनीति तय करती है
हमने तो केवल नेता के कहने पर प्रस्थान किया
यह बदलाव कहाँ से आया कैसे आया, ज्ञात नहीं
प्रतिभा से ज़्यादा लोगों ने पैसे का सम्मान किया
शनिवार, फ़रवरी 20, 2010
जो बेहद मुश्किल लगता था उसको भी आसान किया
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें