हर समय द्वन्द्व चलते रहते हैं
मन के मौसम बदलते रहते हैं
फूल खिलते हैं जिनकी डालों पर
बस वे ही पेड़ फलते रहते हैं
हम कई बार जानते भी नहीं
हम भी लोगों को खलते रहते हैं
जिनको ठोकर से डर नहीं लगता
वे ही गिर कर सम्हलते रहते हैं
शीशमहलों में चलने वालों के
पैर अक्सर फिसलते रहते हैं
सुख से जीने की चाह में हम सब
उम्र भर, खुद को छलते रहते हैं
ऐसे कम ही दिये मिले मुझको
वो जो आँधी में जलते रहते हैं
शनिवार, फ़रवरी 20, 2010
हर समय द्वन्द्व चलते रहते हैं
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