तुमसे होगा यूँ मिलना कभी
स्वप्न में भी न सोचा कभी
लाभ पर बेचने के लिए
हमने कुछ न खरीदा कभी
सोचने से तो होती नहीं
हल किसी की समस्या कभी
उनके दामन में भी दाग हैं
जिनका दामन था उजला कभी
अर्थ करना कठिन हो गया
मर्द-औरत का रिश्ता कभी
रोकने से भी रुकता नहीं
बीच पर्वत पे झरना कभी
उसको है आजतक इन्तिजार
आएगा, आने वाला कभी.
शनिवार, फ़रवरी 20, 2010
तुमसे होगा यूँ मिलना कभी
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