औघड़ पर्वत के उलझे केशों में रस्ते ढूँढ लिए
झरने ने जब ‘चरैवेति’ के ठोस इरादे ढूँढ लिए
कभी प्रेम के कभी क्रोध के और कभी मुस्कानों के
सबने अपने चेहरों के अनुकूल मुखौटे ढूँढ लिए
मधुवन में खिलने का जिन फूलों को अवसर नहीं मिला
आँगन-आँगन ऐसे फूलों ने भी गमले ढूँढ लिए
परदे में ,मन की बातों को कह देना आसान लगा
प्रेम-पत्र लिखने वालों ने स्वयं लिफाफे ढूँढ लिए
उन लोगों से, दूर-दूर तक कोई भी संबंध न था
स्वार्थ सिद्ध करने को, कुछ मुँहबोले रिश्ते ढूँढ लिए !
जिन्हें सुनाकर , जीवन में कुछ करने का अहसास जगे
बूढ़े लोगों ने, चुनकर कुछ ऐसे किस्से ढूँढ लिए
एक भरोसा था— जो नदिया को सागर तक ले आया
यही सोचकर, हमने अपने लिए भरोसे ढूँढ लिए.
शनिवार, फ़रवरी 20, 2010
औघड़ पर्वत के उलझे केशों में रस्ते ढूँढ लिए
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